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Himachal Rajya Sabha Election - CM सुखविंदर सिंह सुक्खू राजयसभा चुनाव में हारने के बाद बोले की "अगर कोई ईमान ही बेच दे तो क्या करना"

CM  सुखविंदर सिंह सुक्खू राजयसभा चुनाव में हारने के बाद बोले की "अगर कोई ईमान ही बेच दे तो क्या करना"

Sukhwinder Singh Sukhu


हिमाचल प्रदेश  के राजयसभा चुनावों में हरने के बाद मुख्यमंत्री सुक्खू ने मीडिया के साथ वार्तालाप में कहा की जिन लोगों ने कांग्रेस पार्टी के चुनाव चिन्ह पर विधायक बने , अगर वोही अपना ईमान भेज दें तो क्या किया जा सकता है। राज्य की संस्कृति ऐसी नहीं थी। सरकार से नराजगी तो होती रहती है लेकिन राजनीती में ईमान नहीं बेचा जाता। मुख्यमंत्री ने कहा की अभी भी 34 कांग्रेस विधायक ने पार्टी का साथ दिया है जबकि उन्हें भी कई तरह के प्रलोभन मिले। जिनकी हिमाचल प्रदेश में कल्पना करना भी मुश्किल है। 34 विधायक अभी भी पार्टी के साथ खड़े हैं , लेकिन अभी भी कांग्रेस पार्टी के 6 विधायकों से हमारा सम्पर्क नहीं हो रहा है। 
ये CRPF और हरियाणा पुलिस की सुरक्षा के बाहर जा चुके हैं , उनके घर वाले उनसे बात कर रहे हैं। परिजन भी पूछ रहे हैं की ये क्यों किया। जब मुख्यमंत्री से इन विधायकों पर कार्यवाही के लिए पूछा तो उन्होंने कहा की अभी कार्यवाही नहीं करेंगे , पहले इनसे बात करेंगे। हो सकता है की ये घर बापिस आने तो तैयार हो जाएँ। 

गद्दारी करके ही हरायी जा सकती थी 40 विधायकों की सरकार - 


 इससे पहले राजयसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की तरफ से प्रत्याशी वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी अपना पक्ष रखा है। उनका कहना है की 40 विधायकों  25 विधायकों वाली पार्टी से सिर्फ बेईमानी करके ही हरायी जा सकती थी। इस जीत  बीजेपी प्रत्याशी हर्ष महाजन को बधाई देता हूँ लेकिन उन्हें ये बोलूंगा की अपने गिरेवान में झांकें। जिन लोगों ने क्रॉस वोट किया , वे रात के खाने में 11 बजे तक हमारे साथ थे , यहां तक की सुबह नाश्ता भी हमारे साथ किया। लेकिन हमे ही।  लगता है हमे ही लोगों  पहचान करने नहीं आयी। बीजेपी की चुनाव रणनीति लोकतंत्र के लिए सही नहीं है।
 

क्या है विधायकों की नाराजगी - 

पूरी बहुमत से बनने वाली सरकार का एक वर्ष में ही राजयसभा चुनाव हर जाना ठीक बात नहीं है लेकिन इसके कारण सामान्य हैं। विधायक अनदेखी झेल रहे थे और हाईकमान ने भी सही समय पर हस्तक्षेप नहीं किया। विधानसभा बजट स्तर के समय ही सीनियर विधायक सुधीर शर्मा और राजेंद्र राणा मुखर थे। मीडिया के प्रत्यक्ष जहां इन्होने मंत्री न बनने की बात कही , और वहीं विधानसभा के अंदर JOA 817 और धर्मशाला यूनिवर्सिटी के मुद्दे उठाये। अन्य विधायकों में देवेंद्र भुट्टो और रवि ठाकुर ने भी संकेत दिए थे लेकिन जब सुनवाई नहीं हुई तो क्रॉस वोटिंग में परिणाम नज़र आया। 

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